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AMAN SINHA

Tragedy Inspirational

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AMAN SINHA

Tragedy Inspirational

इर्फान की याद में

इर्फान की याद में

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मैं था, मैं हूँ, और मैं रहूँगा

हुनर बनकर मैं रगों में बहूँगा

चाहे जितना भी भुलाना चाहे ज़माना मुझे

मैं याद बनकर जहन में आता रहूँगा


अभी नहीं हुआ तो बाद में हो जाएगा

हुजूर ये इश्क़ है आज न सही कल हो जाएगा

कोशिश करने में हर्ज क्या है यारों

दिल आज सोया है तो कल जाग जाएगा


दर्द कई हैं जमाने में सबको लेकिन

बस कुछ ही जो नासूर बन जाता है

अलविदा ना कह पाना अपनों को रुखसती में

अक्सर दिल में कांटे सा चुभ जाता है


इश्क़ है उससे शिद्दत वाला तभी तो जाने दिया

जो जुनून बना लेता तो वो मेरे बांहों में होती

आज वो नूर किसी और के आशियाने की तभी

वरना वो हमारे जन्नत की कोहीनूर रही होती


कहते हैं ज़िंदगी सभी की कह कर लेती है

निचोड़ लेती है तुम्हें और हाथों में नींबू दे देती है

पर क्या करें हम उस नींबू का यारों

नहीं शिकंजी बनती है, न ही मजा देती है


कई बार कोशिश की खुद को मिटाने की लेकिन

ना हिम्मत हुई ना ही कोई बहाने मिले

वही दुनिया है वही पहिये है ज़िंदगी के अब भी

पहले तो न कभी ऐसे कोई नज़ारे मिले


कई रात से मैं नींद भर सोया ही नहीं

पता नहीं क्यों आज मां की गोद बड़ी याद आई

बाल सहलाते हुए वो मां की उँगलियाँ

याद आई तो आज मुझे बस रुला के गयी


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