STORYMIRROR

सीमा शर्मा सृजिता

Tragedy

4  

सीमा शर्मा सृजिता

Tragedy

टूटी पायल टूटा दिल

टूटी पायल टूटा दिल

1 min
1.0K

उठाकर रख दी मैंने पायलें 

जब चुभने लगी बेड़ियां बन 

चुप्पी सजा ली होठों पर 

जब दिल को ना समझे तुम 


मगर आज मन है फिर

कि मैं पायल छनकाऊं

कि इतना छनकाऊं 

ये टूटकर बिखर जायें 


मगर आज मन है फिर 

 दिल की बातें बताऊं 

ना सुनो तुम फिर भी बताऊं 

ताकि ये दिल टूट जाये 


टूटी पायलें और 

टूटे दिल को जोड़ 

मैं नई मूरत बनाऊंगी 

यकीनन बहुत

 खूबसूरत बनाऊंगी 


ताकि मुस्करायें पायल 

 थिरक जाऊं मैं 

ताकि गीत गाये ये दिल 

 जी जाऊं मैं ......


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy