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पहला प्यार

पहला प्यार

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मैं अक्सर हजारों की

भीड़ से घिरा रहता था

फिर भी अकेलेपन के

एहसास में जीता था।


जो सूनापन मुझे

अक्सर खाने को दौड़ता था

एक दिन में रास्ते जा रहा था

वो मुझे मिली,


या यों कहो कि

रोज मिलने लगी

फिर वो कुछ ही

दिनों मे मेरी इतनी

अपनी बन गई,


जिसे मैं किसी को

शब्दों में नहीं बता सकता

शायद उसे भी,


मेरी मजबूरियाँ मुझे रोक लेती

वो समझती सब थी

वो मुझसे अक्सर कहती,


मैं उसे डाँट देता

मन ही मन दुखी भी होता

पर क्या करता

कुछ कह ही नहीं सकता था।


इसकी आवाज सुनने के लिए

कितना इन्तजार करता

उसकी कुछ के लिये

मैं कुछ भी कर सकता था।


पर उसके दुख की वजह

भी मैं ही था

पर वो कभी शिकायत नहीं करती।


हमेशा कहता अपना ख्याल रखना

मुझे खूबसूरत एहसास

दे गई जिसे मैं पहला प्यार कहता हूँ।


जो प्यार मैं कभी जता नहीं सकता

बस मेरे दिल के किसी कोने में

अंतिम साँस तक दफन रहेगा।।


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