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Thomas Augustine

Drama

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Thomas Augustine

Drama

पीकर होश में रहता हूँ मैं।

पीकर होश में रहता हूँ मैं।

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पीकर होश में रहता हूँ मैं,

ना पीऊँ तो दर्द में होता हूँ मैं,

न दोस्त न यार, बस अकेला हूँ मैं,

पीकर यूँ ही जीता हूँ मैं।


बीते कल में जीता हूँ मैं,

कैसे भुला दूँ इसको मैं,

सुहानी वो यादें रखता हूँ मैं,

कहते है लोग बेवकूफ हूँ मैं।


बेवकूफी है क्या,

दीवानगी है क्या,

किसे, क्या समझाऊँ मैं,

पीकर यूँ ही जीता हूँ मैं,

जमाने से दूर बैठा हूँ मैं।।


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