गुमसुम ना रहो, कुछ कहो ज़रा ।
गुमसुम ना रहो, कुछ कहो ज़रा ।
ये दिल तुम्हारे नाम से धड़कता है,
मीठा सा इक दर्द कुछ होता है,
ऐसा क्यों होता है, क्या तुम्हें कुछ पता है।
गुमसुम ना रहो, कुछ कहो ज़रा,
लफ्जों में न सही, तो इशारों में सही,
बेचैन है दिल, कुछ समझो ज़रा।
दिल बेचैन क्यों होता है,
खोया-खोया क्यों रहता है,
पागल दिवाना-सा हो गया हूँ,
रात दिन सपनों में खो गया हूँ।
क्या ऐसा ही होता है,
जब प्यार हो जाता है,
गुमसुम ना रहो,
कुछ कहो ज़रा,
लफ्जों में न सही, तो इशारों में सही ।