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Thomas Augustine

Drama

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Thomas Augustine

Drama

गुमसुम ना रहो, कुछ कहो ज़रा ।

गुमसुम ना रहो, कुछ कहो ज़रा ।

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ये दिल तुम्हारे नाम से धड़कता है,

मीठा सा इक दर्द कुछ होता है,

ऐसा क्यों होता है, क्या तुम्हें कुछ पता है।


गुमसुम ना रहो, कुछ कहो ज़रा,

लफ्जों में न सही, तो इशारों में सही,

बेचैन है दिल, कुछ समझो ज़रा।


दिल बेचैन क्यों होता है,

खोया-खोया क्यों रहता है,

पागल दिवाना-सा हो गया हूँ,

रात दिन सपनों में खो गया हूँ।


क्या ऐसा ही होता है,

जब प्यार हो जाता है,

गुमसुम ना रहो,

कुछ कहो ज़रा,

लफ्जों में न सही, तो इशारों में सही ।


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