खोटा सिक्का
खोटा सिक्का
आओ दोस्तों, आज तुम्हें मैं
एक नई कहानी सुनाता हूं
जो हर एक घर में होता है
उस खोटे सिक्के या फिर
नालायक लड़के की बात बताता हूं
ये हर उस घर की कहानी है
जिन मां बाप के दो बेटे है
शायद ये कुदरत का बनाया नियम है
के एक बेटा खूब लायक होगा तो
दूसरा उतना ही नालायक होना है
जो हर कदम पर जलील होता है
जो अन्दर से टूटा होकर भी मुस्कुराता है
सबकुछ होते हुए भी जिसे ना जाने
किस चीज़ की कमी खलती है
उसकी कहानी सुनाता हूं
जो आपनी एड़ी चोटी का जोर लगाता है
कि वो भी काम कुछ ऐसा कर जाएं
की दुनिया के उसके पिता को उसके नाम से
जाना जाए, लेकिन अफ़सोस वो बेचारा
ऐसा कोई भी काम नहीं कर पाता है
इतने के बाद भी वो हार नहीं मानता है
कभी आंसू नहीं निकलते है उसके वो
हमेशा मुस्कुराता रहता है लेकिन ये ज़माना
उसकी हंसी बर्दाश्त नहीं कर पाता है
आओ मैं तुम्हें उसके हंसने का कारण बताता हूं
उसकी हंसी देख कर ये दुनिया भी
उसे आवारा समझती है और वो भी
आखिर क्या करे क्योंकि वो भी अपने
गम हर किसी को नहीं दिखाना चाहता है
शायद इसीलिए वो अकेला रहना चाहता है
हां, कभी कभी ज्यादा सोच लेता है वो
मरने का ख्याल उसके दिल में भी आता है
मगर फिर भी वो जिदंगी की जंग लड़ता है
क्योंकि जीते जी ना सही लेकिन उसकी मौत पर
अपने मां बाप का सर गर्व से उठा देखना चाहता है।