साँझ
साँझ
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साँझ
रंगों का संगीत
विरह लाल
नयी धुन
हर साँझ
एक पूरा दिन देकर
जाती है।
अपने आगे भी और पीछे भी
पीछे का दिन
समेटता है
हर काम और अंजाम
चूल्हे की धधक से लेकर
गोधुलि की,
साफ लीक तक का
और आगे का दिन
इंतजार करता है
खुद में होने वाले चौपालों सा
जीवन के कदम ताल का।