खुद में होने वाले चौपालों सा जीवन के कदम ताल का। खुद में होने वाले चौपालों सा जीवन के कदम ताल का।
जो आने वाला है वह भी आज न कल मुंह दिखला कर खो जाने वाला है! जो आने वाला है वह भी आज न कल मुंह दिखला कर खो जाने वाला है!
याद दिलाये बचपन की बातें, जब बारिश में थे हम खूब नहाते, याद दिलाये बचपन की बातें, जब बारिश में थे हम खूब नहाते,
ये बेरहम है, और सुनवाई कुछ नहीं होती, इसकी महफ़िल में सिर्फ रुसवाई है बसती, ये बेरहम है, और सुनवाई कुछ नहीं होती, इसकी महफ़िल में सिर्फ रुसवाई है बसती,
भूख से लड़कर जिया किस धर्म को आबाद करूँ...... भूख से लड़कर जिया किस धर्म को आबाद करूँ......