Revolutionize India's governance. Click now to secure 'Factory Resets of Governance Rules'—A business plan for a healthy and robust democracy, with a potential to reduce taxes.
Revolutionize India's governance. Click now to secure 'Factory Resets of Governance Rules'—A business plan for a healthy and robust democracy, with a potential to reduce taxes.

AMIT KUMAR

Abstract Romance

4.0  

AMIT KUMAR

Abstract Romance

गीत कौन गाता है..?

गीत कौन गाता है..?

1 min
321


उनकी आंखों का समंदर हर बार ये बताता है,

उतरने के बाद साहिल कहाँ नज़र आता है,

अभी भी वक्त है संभल जाओ डूबने से पहले,

ऐसे समंदर में गोताखोर कब बचाने आता है?


तुम उसी तरह खाक हो जाओगे,

जैसे चरागों से लिपटकर परिंदे,

शुरुआत में धधक ज्यादा होती है जैसे

बुझती चरागों में लव तेज़ आता है।


ये बेरहम है, और सुनवाई कुछ नहीं होती,

इसकी महफ़िल में सिर्फ रुसवाई है बसती,

आगाज़ इसका हसीं है सिर्फ ख्वाबों तक,

जैसे पत्ता टूटकर साख से कब मिल पाता है?


पतझड़ के बाद पत्ता और फूल क्या खूब आता है,

इन बहारों के लिए वृक्षों को कितना दुःख आता है,

ये नए जरूर होते है खुद की पहचान खोकर,

गुमनाम पहचान से हाथ मिलाने कौन आता है?


ये हर इक आहट पे तुम्हें बहुत सताएगी,

तुम्हें शोक भी होगा, आँसू रुक न पाएगी,

बदहवासी और होश दोनों एक से होंगे,

खोये हुए तरन्नुम से गीत कौन गाता है?


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract