दो जून की रोटी
दो जून की रोटी


ईश्वर अल्लाह या कोई
मसीहा से बात करूँ,
दो जून की रोटी की ख़ातिर
किस ख़ुदा को याद करूँ,
बस कर्म की पूजा करूँ
अपने करों पर कर यकी,
मेहनत को माना धर्म
और धर्म पर लड़ता नहीं,
भूख से लड़कर जिया
किस धर्म को आबाद करूँ......
दो जून को रोटी की खातिर
किस ख़ुदा को याद करूँ.....
मासूम आँखो से टपकते
अश्क झर - झर बह रहे,
कैसे बुझाऊं शोले वह जो
भूख से धधक रहे ,
कोई बताए जाके किसके
सामने फरियाद करूं......
दो जून की रोटी की खातिर
किस ख़ुदा को याद करूँ