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shweta mishra

Tragedy

4  

shweta mishra

Tragedy

आत्मसात्

आत्मसात्

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है तल्ख जो मिजाज तेरा

बेरुखी गढ़ रहा है,

आत्मसात् है तू मुझमें

फिर क्यूं ये रिश्ता

मरणासन्न की ओर बढ़ रहा है।


फाइव स्टार का मिला है इसे रेट,

यूं घटा घटा कर इसकी

जिंदगी की डेट,

चाहते हो क्या तुम

क्यूं लगा रहे हो

तुम रिश्तों की बेट,


क्या खराबी है जो गर

हम रहे सोलमेट।

है चुभन सा कुछ अनसुना अनकहा

बीच हमारे आजकल

सड़ रहा है,


आत्मसात् है तू मुझमें फिर क्यूं ये रिश्ता

मरणासन्न की ओर बढ़ रहा है।


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