दुर्घटना
दुर्घटना
प्रतिभा का धनी वह जन-जन का प्यारा था, नाम था राजू श्रीवास्तव
हास्य कलाकार था वो सबसे निराला
नभ में एक सितारा था लगता सबको प्यारा था चमक कर सबको हँसाया
सामने वो जब भी आता ऊर्जा नयी दे जाता, सब लोग दुःख दर्द अपना भूल जाते, कष्ट वो सबका मिटाता
प्रसिद्धि उसने खूब पाई थी, अंदाज उसका निराला था
अचानक 21 सितंबर को उसके जाने की दुर्घटना की खबर आई, गहरी काली निशा आई थी
नम हो गई हर एक की आंखे शोक की लहर छाई थी
वो सितारा कहीं खो गया, सिलसिला ठहाकों का थम गया
उठो 'राजू 'जग को हँसा ओ
गजाधर भईया खिलखिल लाओ
सभी को हंसाया जीवन भर जिसने टूट गया वो सितारा, आँखों में आंसू देकर इस दुनिया को अलविदा कह गया वो सबका प्यारा
मातम ये गहरा छाया है हर दिल में दुःख ये दिखलाया है
राजू तुम सबको रुला गए जहाँ में अमर हो जाओगे सभी के दिल में तुमने जगह पाई है
फिर नयी दुनिया में जाना हंसना और सबको हंसाना, ठहाकों का सिलसिला यू ही बरकरार रखना
