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Aishani Aishani

Tragedy

4  

Aishani Aishani

Tragedy

अकेलापन..!

अकेलापन..!

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वो एकांत में बैठ 

यही सोच रही

शायद कि.. 

अंततः ...

एक समय पश्चात 

दोनों ही 

अकेले खड़े रह जाते हैं..

वो शजर जो पुष्प पर्णहीन हो चला हो

और...

संघर्ष करते करते वो सख़्श

जो उम्र की सीढ़ियाँ चढ़कर 

अब जीवन के ढलान की ओर अग्रसर हो..!

बेकार की वस्तु समझ 

एक एक कर सब छोड़ जाते हैं उसे..

बिना यह सोचे की कल को वो भी

ऐसे ही अकेले पड़ जायेंगे...

फिर...!


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