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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Tragedy Inspirational

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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Tragedy Inspirational

शापित गुलाब,कैसे

शापित गुलाब,कैसे

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गुलाब होता प्रभु चरणों में अर्पित 

फिर होगा कैसे वे किंचित शापित ?

कांटों का संघर्ष, दे ताज फूलों का राजा


जो सर्वस्व के लिए जीवन होम कर दे

स्व सुवासित गन्ध कण-कण में भर दे 


सुख की सेज में तो सब हंस सो लेते

कांटों भरी सेज सोना गुलाब से सीखें


गुलाब होता प्रभु चरणों में अर्पित 

फिर होगा कैसे वे किंचित शापित ?

कांटों का संघर्ष, दे ताज फूलों का राजा


किसी तरुणी बाला के जूड़े में गूंथ जाये 

किसी प्रेमी मन को दे खुशी बहलाये


या किसी के अंतिम सफर में बिछ जाये

मिलन-विछोह दोनों में कर्तव्य कर्म रत 


हंसते-हंसते पत्ती-पत्ती हो भी मुस्काये 

संघर्षों से घर्षण कर कुंदन होता जाये


गुलाब होता प्रभुचरणों में अर्पित 

फिर होगा कैसे वे किंचित शापित ?

कांटों का संघर्ष, दे ताज फूलों का राजा



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