मैं जिस्म तू रूह जिसे तेरी ही ज़ुस्तजू मैं जिस्म तू रूह जिसे तेरी ही ज़ुस्तजू
कुछ किताबों में, कुछ दीवारों पर, लिखीं हैं मेरी ख्वाहिशें कुछ किताबों में, कुछ दीवारों पर, लिखीं हैं मेरी ख्वाहिशें
मैं नहीं कहती कि, दुनिया तेरी और कायनात मेरी हो। मैं नहीं कहती कि, दुनिया तेरी और कायनात मेरी हो।
आस टूटे ना कभी अब मन का मेरे बिन फेरे हम तेरे। आस टूटे ना कभी अब मन का मेरे बिन फेरे हम तेरे।
खामोशी के मेले में हम तुम अकेले हो चाँद के झूले पर तुम्हारी गोद में सर रखकर सो लूँ। खामोशी के मेले में हम तुम अकेले हो चाँद के झूले पर तुम्हारी गोद में स...
पर रूह एक ही बनाई थी पर रूह एक ही बनाई थी