ख़्वाबों का जहाँ
ख़्वाबों का जहाँ


चाँद के रंग सी उजली किसी
खूबसूरत रात के मद्धम बहते पहर में
मेरी नैंन कटोरियों के ख़्वाबगाह में
एक सपना चले..!
सौम्य धवल बादलों के शामियाने से
सजे शहर में अलसाई मेरी सुबह चले
तुम्हारे हसीन खयालों का
कारवां संग लिए..!
मेरी पलकों पर कुछ
अहसास रखो तुम रंगीन
मैं दो हथेलियों से थामकर
उर आँगन में बो लूँ उसे..!
एक बेल सी उगे सितारे जड़ित
इश्क की तुम्हारे दिल की
दहलीज़ तक पहुँचे..!
तुम रात के रास्तों की
संकरी गलियों से गुजरते हुए
कदम रख दो
मेरे स्वप्न सजे ब्रह्मांड में..!
खामोशी के मेले में
हम तुम अकेले हो
चाँद के झूले पर तुम्हारी गोद में
सर रखकर सो लूँ,
तुम मेरे गेशुओं में छुपकर
दो जहाँ को भूला दो
शब भर खोए रहे एक दूजे में
फिर उस रात की कोई सुबह ना हो..!
इश्क में खोए दो आशिकों की
तमन्नाओं का जहाँ सपनों की सेज पर
ठहरा हकीकत की धरा से परे
स्पंदनों में घिरा।