कुछ सेज़ पर, कुछ मेज़ पर
कुछ सेज़ पर, कुछ मेज़ पर
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कुछ सेज पर, कुछ मेज़ पर,
रखीं हैं मेरी ख्वाहिशें ,
कुछ किताबों में, कुछ दीवारों पर,
लिखीं हैं मेरी ख्वाहिशें।
कुछ पत्तों पर, कुछ शाखों पर,
सूखी हैं मेरी ख्वाहिशें ,
कुछ मुकम्मल होकर भी,
बाकी हैं मेरी ख्वाहिशें ।
