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Sharvari Prabhu

Abstract

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Sharvari Prabhu

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रात भर रात पर

रात भर रात पर

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रात भर रात पर चाँद का पहरा है, 

खाली खाली रातों का रंग काला गहरा है।


सहमा सा सन्नाटा, सहमी सी चाँदनी, 

कपकपाते पत्तों पर, टिमटिमाती रौशनी।

सेहर की राह तके, सूरज भी ठहरा है, 

खाली खाली रातों का रंग काला गहरा है।


बादलों की आड़ में, छुपाये अपना दाग़,

रोब जामये तारों पर, अब रातों को जाग। 

पूनम कहो या अमावस, ये उसी का चेहरा है, 

खाली खाली रातों का रंग काला गहरा है।


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