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Sharvari Prabhu

Others

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Sharvari Prabhu

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डब्बा गोल !

डब्बा गोल !

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दिन भर पीछा करे उदासी, बैठी ख़ुशी लिए उबासी,

पहली पहर में आँख खुले पर, दोपहरी तक डब्बा गोल।


ताज़े दिन पर काम हो बासी, फुर्सत नहीं मिले ज़रा सी,

पावर नैप अलाउड नहीं है, झपकी पे भी लगता टोल। ,


महीने के वो दिन आखिरी, जेब फटी और चले उधारी,

बिस्कुट की औकात नहीं पर, फिर भी चाहे चिकन रोल।


अकाउंट्स वकाऊंट्स और टैली वैली, नाक में दम

करती है साली,

नंबर के चक्कर में फंसकर, नौकरी हो गई डामाडोल।


इंटरव्यू में जूते घिस घिस, हारा करके सारे बिज़नेस,

ऊपर सपने नीचे किस्मत, बीच में मैं बजता हूँ ढोल ।



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