Aliza Fatima

Tragedy

3.8  

Aliza Fatima

Tragedy

ज़माना तो ऐसा ही रहेगा

ज़माना तो ऐसा ही रहेगा

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गैरों की महफ़िल से क्या डरना सनम,

लूटा तो हमें अपनों ने था,

टूटे तो ऐसा टूटे ,

की वापिस जुड़ ना पाए

लम्हे याद आते हैं, जो बिताए थे साथ उनके 

उनके धोखे से ऐसा रूठे 

की फिर मन को माना ना पाए।

खुद को भुला कर किया था बहुत कुछ उनके लिए

लड़े थे खुद से उनके लिए

एहसास दिला दिया है आज उन्होंने 

की हम तो साथ थे तुम्हारे मतलब के लिए

अब संभालो खुद खुदको 

क्यूंकि इस दुनिया में सिर्फ़ तुम हो अपने लिए।

दूसरों के लिए इतने मेहरबान मत बनो की खुद को भूल जाओ

अपने भी आजकल मतलबी है

तो खुद बदल जाओ

एक ही ज़िन्दगी है जी लिए सनम

क्यूंकि ये ज़माना तो ऐसा ही रहेगा ।।


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