मन बच्चों का
मन बच्चों का
बच्चों का मन तृप्त नहीं होता,
फिर भी ये सदा त्याग करते हैं ;
कुछ बच्चे अभाव देखकर ,
जल्दी समझदार हो जाते हैं!
पिता की खाली जेब देखकर
बच्चे मेला जाना छोड़ देते हैं;
माँ की फटी साड़ी देख बच्चे
खिलौना नहीं खरीद पाते हैं !
ख़ुशी क्या है यहां, ग़म क्या है,
सब पता उनको कहां;
ज़माने में इन्हें अपने लोग
सड़कों पर तन्हा छोड़ देते हैं!
बनाता है यहां जो काफ़िला
बहुत मेहनत मशक्क्त से;
उसी शख्स को अक्सर
काफ़िले वाले अकेला छोड़ देते हैं!
