हक़
हक़
शब्द जब हो जाएंगे मौन
तो हक़ में बोलेगा कौन
आत्मीयता कितनी रखते हो
मर्म को तोलेगा कौन
कितने व्यथित हो रहे हो
दूसरों की देखकर ख़ुशी
दूसरों का ग़म अगर लग जाएगा
तो भला संभालेगा कौन
किसी की आरज़ू कर लेना
मोहब्बत नहीं
कोई ग़र ठुकरा देगा तो
दिल को दिलासा देगा कौन
अपने ही मुकद्दर को क्यों
कोसते हो
कल तकदीर भी रूठ गई तो
बचेगा कौन
आप से बेहतर तो मेरे
दुश्मन है
जब आप ही नहीं सुनोगे तो सुनेगा कौन
फ़र्ज़ निभाओगे तो
जिम्मेदारियाँ भी लेनी होगी
वर्ना आपके मन की सुनेगा कौन
कब से रूठी हुई है ज़िन्दगी
मेरे हक़ में ये फैसला करेगा कौन
तुम्हारी ज़िद थी दूर जाने की तो
फ़ासले ज़िन्दगी के तय करेगा कौन
