STORYMIRROR

Rajeev Tripathi

Tragedy

4  

Rajeev Tripathi

Tragedy

हक़

हक़

1 min
383

शब्द जब हो जाएंगे मौन

तो हक़ में बोलेगा कौन 

आत्मीयता कितनी रखते हो

मर्म को तोलेगा कौन

कितने व्यथित हो रहे हो

दूसरों की देखकर ख़ुशी

दूसरों का ग़म अगर लग जाएगा

तो भला संभालेगा कौन

किसी की आरज़ू कर लेना

मोहब्बत नहीं

कोई ग़र ठुकरा देगा तो

दिल को दिलासा देगा कौन

अपने ही मुकद्दर को क्यों

कोसते हो

कल तकदीर भी रूठ गई तो

बचेगा कौन

आप से बेहतर तो मेरे

दुश्मन है

जब आप ही नहीं सुनोगे तो सुनेगा कौन

फ़र्ज़ निभाओगे तो

जिम्मेदारियाँ भी लेनी होगी

वर्ना आपके मन की सुनेगा कौन

कब से रूठी हुई है ज़िन्दगी

मेरे हक़ में ये फैसला करेगा कौन

तुम्हारी ज़िद थी दूर जाने की तो 

फ़ासले ज़िन्दगी के तय करेगा कौन


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy