दुर्घटना पे कविता
दुर्घटना पे कविता
घर जाने को वह निकला था,
पर फिर वह कभी न घर आया।
रास्ते में एक ट्रक ने ऐसा उसे उड़ाया,
दूर जा गिरा वह ज़मीन पर,
कोई पास न उसके आया,
कि कौन पड़ेगा इस झंझट में पुलिस के,
कि वह ट्रक के सामने आया कि ट्रक वाले ने उसे उड़ाया।
पंद्रह मिनट तक वह तड़पता रहा ,
फिर भगवान को प्यारा हो गया।
घर पर उसकी पत्नी यही सोचती हर आहट पर की वह आ गया ,
यहाँ पुलिस वालों ने उसे अनाथ कहकर जला दिया ।
राह देखती पत्नी की आँखों का अश्रु सूख गए ,
इस सवाल का जवाब ही नहीं आया कि उसके पति कहाँ गए,
सबके लिए एक दुर्घटना थी जिसे देख कर सब भूल गए,
सवाल था तो सिर्फ उसकी पत्नी के पास कि उसके पति उसे छोड़ कर कहाँ गए।
