तन्हा चाँदनी
तन्हा चाँदनी
1 min
7.4K
तन्हाई मे बिरले ही, खुद को अकेला पाया है,
अंधेरे मैं जो साथ चलता, तेरा ही तो साया है।
गुजर ही जाएगा, फास्ला ये चंद लम्हो का,
फिर तो उम्र भर, तेरी पलको का साया है।
ना जाने क्यूँ, बिना जहमत तूने मुझे अपनाया है,
इसी मासूमियत ने तेरी, मुझको घायल बनाया है।
जो दूरी हो दिलो मे तो, और बढता प्यार है,
जो छिपति दिख रही, बादलो मे चाँदनी,
ना जाने क्यूँ लगे की, वोही तो मेरा यार है।