कभी तुम
कभी तुम

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है लम्बा बहुत सफर जिंदगी का,
हर मुकाम पे सब अपने वक़्त से पहुंचे
सारा खेल हुज़ूरे नसीब का है,
कभी तुम देर से पहुंचे, कभी हम देर
से पहुंचे
कट गयी उम्र सारी, तुम्हारे साथ दोस्तों,
हर हुजूम में शिरकत तुम्हारे साथ हुए,
हर निकाह -जनाजे पे बहुत धूम से पहुंचे,
क्या फरक पड़ता है ,
कभी तुम देर से पहुंचे, कभी हम देर से पहुंचे
ढल जायेगा दिन, ये रात भी काट ही जाएगी ,
बिना रुखसत लिए, यूँही अलविदा कह देंगे
किसी दिन
कब्रे -इ -मिल्लत पे सब एक साथ ही पहुंचे
काम भक्तों, का फिर भी शिकवा एक ही था
कभी तुम देर से पहुंचे, कभी हम देर से पहुंचे