STORYMIRROR

Dr. Sudarshan Upadhyay

Drama Romance

2.5  

Dr. Sudarshan Upadhyay

Drama Romance

इनकार-इकरार

इनकार-इकरार

1 min
3.1K


चमन की खुशबू,

ले जाना चाहो संग,

तो गुलों को तोड़ना पड़ता है।


जो इनकार में होता है,

वो मज़ा इकरार में कहाँ,

जो इश्क़ की नापनी हो गहराई,

तो दिल को तोड़ना पड़ता है।


साथ तो हम भी चलेंगे,

पर कभी-कभी हाथ छोड़ना पड़ता है,

गर चाहो की वो तुम्हे आ कर मना ले,

ए गालिब,

तो पहले मुँह मोड़ना पड़ता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama