तेरी याद
तेरी याद
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चिड़िया की चचाहहट,
जब जब सुबह जगती है,
मेरी आँखों से तेरे सपनो को,
ओझल कर जाती है।
फिर उठकर चल देता हूँ,
दुनिया की उलझी गलियो में।
कुछ टेढ़े मेढ़े रास्तो में,
कुछ अनसुलझी से गलियो में।
कुछ छुपा है मेरे अन्दर भी,
जो अनसुलझा सा लगता है।
कभी तो समझेगी,
तू भी मेरे जज़्बात,
कभी तो वक़्त मेरा भी आएगा।
जब देखूंगा मैं भी,
जब तेरे ऊपर रंग,
मेरा चढ़ जाएगा ।
तब भी ना कोई शिकवा,
ना कोई गिला करूँगा,
ना तुझपर कोई तंज कसूंगा।
बस तेरी आँखों मे,
डूब जाऊंगा ओ,
फिरसे तुझसे मोहब्बत करूँगा।
चिड़िया की चचाहहट,
जब जब सुबह जगती है,
मेरी आँखों से तेरे सपनो को,
ओझल कर जाती है।।