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सुनो ना

सुनो ना

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मैं झूठ बोलता हूँ अनजान हूँ इस शहर से,

इस बहाने ही तुम मेरे साथ तो चलो ना।


मैं सारी शिकायतें दहलीज़ पे ही छोड़ आऊंगा,

तुम दरवाज़े के उस तरफ मुस्कुराती मिलो ना।


मैं मसरूफियत दिखाता हूँ जानभुझ तुमको,

क्योकि तुम बहुत प्यार से कहती हो "सुनो ना"।


तेरी आँखो को पढ़ता हूँ खामोशी से उस वक्त तक,

जब तुम झल्ला के कहती हो "कुछ कहो ना"।


मैं जन्नत भी जाऊं तो वक्त कटेगा कैसे,

जो साथ बैठने को मेरे तुम ही मिलो ना।


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