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इज़हार

इज़हार

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हकीकत में नहीं ख्वाब में तो देदो,

हमारे इज़हार का जवाब तो देदो।


तलब लगी है ज़ोरो से तुम्हारी,

कोई बोतल एक शराब तो देदो।


मुस्कुराने से तेरे उजाला होता है मेरा घर,

अँधेरे में एक हसी लाजवाब तो देदो।


कितनी बार लुटा हु में तेरी अदा पर,

कभी बेठकर फुर्सदसे हिसाब तो देदो।


मुझे लिखनी है तेरी खूबसूरती की लिखावट,

कभी हाथोसे अपने कोरी किताब तो देदो।


आखिर हकीकत में नहीं ख्वाब में तो देदो

हमारे इज़हार का जवाब तो देदो


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