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Mitesh Khakharia

Drama

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Mitesh Khakharia

Drama

दोस्ती

दोस्ती

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ये दोस्ती मुझे हिसाब सी लगती है

एक उल्जी हुई किताब सी लगती है

ये दोस्ती चीज़ है बड़ी उल्जन भरी

कभी मीठी दवा

कभी ज़हरीली शराब सी लगती है


ये दोस्ती मुझे हिसाब सी लगती है

एक उल्जी हुई किताब सी लगती है


कभी रेगिस्तान में आब

कभी जलेपे आग सी लगती है

कभी सुहानी हक़ीक़त

कभी अधूरा ख्वाब लगती है


ये दोस्ती मुझे हिसाब सी लगती है

एक उल्जी हुई किताब सी लगती है


कभी भीगा कागज़

कभी कड़कड़ती किताब सी लगती है

साथ रहे तो जीत

वर्ना हारा ख़िताब सी लगती है


ये दोस्ती मुझे हिसाब सी लगती है

एक उल्जी हुई किताब सी लगती है


कभी सूखा कुवा तो कभी

छलकता तालाब सी लगती है

कभी खूबसूरत चेनाब तो

कभी डरावना सैलाब सी लगती है


ये दोस्ती मुझे हिसाब सी लगती है

एक उल्जी हुई किताब सी लगती है...!



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