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Avinash Natekar

Others Romance

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Avinash Natekar

Others Romance

यथार्थ प्रेम

यथार्थ प्रेम

1 min
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स्वर्णिम स्वप्न नगर त्यजकर, अब मैं यथार्थ में रहता हूँ।

लेकिन यह सच है प्रियतम की, प्रेम तुम्ही से करता हूँ !

हाँ यह सच है प्रियतम …।


फूल नहीं, ना गुब्बारे, ना तोडूंगा अगणित तारे,

विश्वास समर्पण रक्षण का उपहार मैं अर्पण करता हूँ।

हाँ यह सच है प्रियतम …।


जीवन की आपाधापी में, जब होंगे हम एकाकी में,

व्यस्त रहे जब पल प्रतिपल हम, जोड़ गुना और बाकी में,

तब श्वास माल का हर मोती, बस नाम तुम्हारे करता हूँ ।

हाँ यह ही सच है प्रियतम …।


थामे हों हाथों में हाथ, ग़म औ खुशियों में साथ साथ,

हो प्रेम तुम्हारा मुझ पर ‘अवि’रत बस यही प्रार्थना करता हूँ !

हाँ, हाँ यह सच है प्रियतम की प्रेम तुम्ही से करता हूँ।

हाँ यह ही सच है प्रियतम …।



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