प्रेम ग़ज़ल
प्रेम ग़ज़ल
रंगों ने तेरे प्यार के, ऐसा असर किया
लम्हा जो तेरे साथ था, सदियों तक जिया!
मोहब्बत से बढ़कर जहाँ में सजदा नहीं कोई,
न मांगा मैंने कुछ, ना तूने कुछ दिया
कहते हैं ख़ुदा ढूंढे मिलता नहीं मगर,
खुद में जो ढूंढा दिल से,क़याम -ए-दिल मिला!
मिल पाएगा मुझे होश में शक है मुझे बशर
ख्वाबों में तेरे दीद ने आके असर किया !