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Neha Zaidi

Others Romance

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Neha Zaidi

Others Romance

चाहत का सफ़र

चाहत का सफ़र

1 min
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प्यार तुम करते हो,

मेरे संग हँसते हो,

मेरे संग रोते हो।


हम तुम्हारे है,

तुम हमारे हो,

एक दूजे के दिल में,

कुछ इस तरह,

धड़कते हो।


फिर भी, फिर भी

न जाने क्यों,

दिल में एक डर है-

"तुम्हारे ज़ेहन में क्या है, क्यों है ?"


इस सवाल के कटघरे में,

दिन रात मेरी पेशी है,

गुस्सा, शक, नफ़रत कुछ नही मिलता,

बस तुमसे मोहब्बत है,

ये सोच कर मेरी नज़रें ठहरतीं है,

झुकती है और फिर बरस पड़ती है।


उफ़्फ़ !

मोहब्बत भी क्या चीज़ है,

पल पल तुम्हारे दीदार चाह रही,

सामने न देख कर तुम्हे,

बेचैनी में घबरा रही,

शक की जहाँ गुंजाइश नही,

वहाँ ज़िन्दगी हर पल हमे

आज़मा रही, डरा रही।


डर डर के हमे नही जीना,

सदमा किसी बात का नही लेना,

मौत आनी है तो,

एक बार में आ जाए,

पर जिंदगी हर लम्हा,

ऐसे न तड़पा.

ऐसे न तड़पाए।


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