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Neha Yadav

Abstract

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Neha Yadav

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मेयारी ख़्वाब

मेयारी ख़्वाब

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मेयारी ख़्वाब की 

चाहत हमें बतला गए हैं वो

शराफ़त सीढियों से 

चढ जमीं पर आ गए हैं वो।


बड़ी मुद्दत से चाहा है

जमाने भर से कहते थे

दग़ाबाज़ी की कश्ती में

हमें बैठा गए हैं वो


तकल्लुफ़ सिलवटें

बदली इश्क की इबादत में

हसीं की महफिलों में

देखो छा गए हैं वो।


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