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Mahavir Uttranchali

Inspirational

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Mahavir Uttranchali

Inspirational

हार किसी को भी

हार किसी को भी

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हार किसी को भी स्वीकार नहीं होती

जीत मगर प्यारे हर बार नहीं होती


एक बिना दूजे का, अर्थ नहीं रहता

जीत कहाँ पाते यदि हार नहीं होती


बैठा रहता मैं भी एक किनारे पर

राह अगर मेरी दुशवार नहीं होती


डर मत लहरों से, आ पतवार उठा ले

बैठ किनारे, नैया पार नहीं होती


खाकर रूखी-सूखी, चैन से सोते सब

इच्छाएँ यदि लाख-उधार नहीं होती


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