उसने उस बुढ़िया को बिठाया और अपने डिब्बे से एक निवाला उसे खिलाया। उसने उस बुढ़िया को बिठाया और अपने डिब्बे से एक निवाला उसे खिलाया।
समय तो है ही परिंदा, जिसका कोई घोंसला नहीं है। समय तो है ही परिंदा, जिसका कोई घोंसला नहीं है।
अब ना तो कश्ती है ना मांझी है साहिल है ना किनारा है अब ना तो कश्ती है ना मांझी है साहिल है ना किनारा है
प्यार के नाम से दूर रहेंगे प्यार के नाम से दूर रहेंगे
ले चल नैय्या.. माँझी रे ! उस क्षितिज के पास ले चल नैय्या.. माँझी रे ! उस क्षितिज के पास
लो मजा अनिश्चितता का, शायद ये संदेश लिखा था। लो मजा अनिश्चितता का, शायद ये संदेश लिखा था।