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Bhavna Thaker

Tragedy

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Bhavna Thaker

Tragedy

तुमको मुबारक

तुमको मुबारक

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उस रिश्ते के किस्से में 

सिर्फ़ दर्द था तन्हाई थी

      हर मोड़ पर धूप ही धूप

बारिश की कोई गुंजाइश न थी

      कच्ची नींदे गीली पलकें 

टूटे सपनो के कतरे थे

      आसमान पर लिखी हमने

प्रीत की हसीन कहानी थी

      रात के तन्हाँ पहर को 

जाकर तुम्हें सुनाए कौन 

      मेरी वफ़ा में सच था कितना

आकर तुम्हें बताए कौन 

      तुमने तोड़े पुल वो सारे

तोड़ दिए मंज़िल के मोड़ 

      क्या करे जब मांझी डूबो दे

बीच भँवर हम भटके थे

      हर गिरह को एक एक कर

आहिस्ता से तोड़ लिया

      हमने भी टूटी कश्ती को 

बीच मझदार में छोड़ दिया

      प्यार के नाम से दूर रहेंगे 

अब तो हमने सोच लिया 

      तुमको मुबारक खुशियाँ सारी हमने जीना छोड़ दिया 



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