किस्मत
किस्मत
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किस्मत की मारी
कठपुतलियाँ सारी !
बहलायी फुसलायी जाती
प्यार की लालच में,
कभी मजबूरी की मारी,
कठपुतलियाँ नाच नाचती !
लगता बेबस उनका जीवन,
जीना जैसे बेरंग सा उपवन !
न जीना बस में न मरना,
हे विधाता किसी को यूँ
कठपुतली सा लाचार न करना !