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swati Balurkar " sakhi "

Drama

3  

swati Balurkar " sakhi "

Drama

किस्मत

किस्मत

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किस्मत की मारी

कठपुतलियाँ सारी !

बहलायी फुसलायी जाती

प्यार की लालच में,


कभी मजबूरी की मारी,

कठपुतलियाँ नाच नाचती !

लगता बेबस उनका जीवन,


जीना जैसे बेरंग सा उपवन !

न जीना बस में न मरना,

हे विधाता किसी को यूँ

कठपुतली सा लाचार न करना !


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