गुलाब का फूल
गुलाब का फूल
कितनी उम्मीद से लाये थे
गुलाब तुम्हे देने के लिए
कितनी जतन से छिपाया था उसे
सबकी नज़रों से बचाया था उसे !
इंतज़ार में तुम्हारे वो मुरझाया
और हम भी सूखे तड़प- तड़पकर !
तुम लौटे थे गुलदस्ता लिए गुलाबों का,
लगा जैसे खून हो गया अनकहे जज़्बातों का !
वो दिन है और आज का दिन
कैद है आज भी सूखा गुलाब मेरी डायरी में !
ना तुम मिले न तुम्हारा इशक नसीब हुआ
किस्सा यूँ प्यार का हमारे दफ़न हुआ !