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swati Balurkar " sakhi "

Tragedy

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swati Balurkar " sakhi "

Tragedy

नारी

नारी

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हर जगह गंदगी है, हर क्षेत्र में,

जाँच लीजिएगा ! बात सही है।

फिर भी नारी उठी है , उभरी है ,

टिकी है और चमकी भी है तारा बनकर।

वो गंदगी में पलकर भी निखर उठी है. .

हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की धुन जो सवार है!

ये " ब" महत्वपूर्ण है , हर 'बाला' के लिए

क्योंकि वह थी बेड़ियों में बंद, युगों तक।

पहले दो उपाय थे- गंदगी से लड़ने के,

बली चढ़ो या बच के चलो गंदगी से।

अब कई उपाय हैं - गंदगी से लड़ने के,

बताओ, बोलो , बंद करो या ब्लॉक करो।

बरबाद कर दो अपनी क्रोधाग्नि से. .

पर नारी, तुम जियो अपनी ज़िंदगी।

दुनिया में गंदगी है तो, सोचो

उतने महान लोग भी हैं, हे नारी।

जिन्होंने तुम्हारा सम्मान किया है , बेड़िया तोड़ी हैं

और तुम्हारी गरिमा को बनाये रखा है।



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