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Raakesh More

Tragedy Classics Inspirational

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Raakesh More

Tragedy Classics Inspirational

गुलाम हूँ धर्म का

गुलाम हूँ धर्म का

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आजाद हूँँ मैं 

बस गुलाम हूँ धर्म का 

आजाद हूँँ मैं  

मैं गुलाम अपने कर्म का।। 0।।


मैं भगवान के लिए 

इन्सानियत भुलता हूँ 

मैं धर्म के झुठे 

बहेकावे पर झुलता हूँ 

जात पात पर लढता हूँ 

अफसोस नहीं अपने कर्म का।। 1।।


जिसका प्रमाण नही भगवान के लिए

जान ले सकता हूँ 

विज्ञान की बात करते हुए 

मैं बेहद थकता हूँ 

मतलब नही समझा मै 

मानवता के मर्म का 

आजाद हूँँ मैं  

मैं गुलाम अपने कर्म का।। 2।।


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