डर
डर
डर डर डर
इंसान किसी चीज़ से घबराता है वो है डर
इंसान का डर इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन है
इंसान का डर इंसान को आगे बढ़ने से रोकता है
इंसान का डर दूसरे इंसान को चोट पहुंचाता है
इंसान का डर ही तो है जो उसे दूसरे से छीनना सिखाता है
इंसान का डर ही तो है जो उसे इंसान से जानवर बना देता है
डर शब्द सुनते ही डर लगने लगता है
मगर यही डर हमें कभी अपनो से दूर करता है तो कभी पास ले आता है
इंसान पैदा होते ही डरना सिखाता है
बचपन में इम्तिहान का डर तो जवानी में बॉस का
डर इंसान को नहीं छोड़ता
जकड़ा ही रेहता है
कहते है ना जो डर गया समझो मर गया
क्यों डर डर के जीना
डरना ज़रूरी होता है
मगर उसके लिए जीना तोड़ी छोड़ देना चाहिए
डरो मगर जहां जरूरत है
नहीं तो जीयो खुल के।
