उल्लास
उल्लास
चित उल्लासित पुलकित ह्रृदय
सुख वृष्टि की शुभकामना
नव आरंभ के शुभबेला पे
जो क्षितिज से हैं ताकते
उन अवसरों से पूर्ण हो
अभिलाषाओं के कोपल अनखुले
ह्रृदयगर्भ की हर वेदना
ले हर यह पर्व आनंद का
पृथक ह्रृदयों के मध्य में
सृजित सेतु हो अनुराग का
व्यापक प्रेम का विस्तार हो
प्रभाव शून्य लोभ द्वेष राग हो
करुणभाव हर दृष्टि में हो
सोच का विकास हो
विलुप्त विषाद अश्रु हो
मन मे केवल उल्लास हो।
