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Arun kumar Singh

Abstract

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Arun kumar Singh

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मतलबी

मतलबी

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यहाँ दुनिया भरी पड़ी है गम से, आप जाम लीजिए

लहु किसी और का था जो बहा, आप जाम लीजिए

जिस दिन आपका दामन जलेगा, उनसे तब कहना

अमां ये मैं ही हूँ बस जल रहा, आप जाम लीजिए !


जो बड़े कानूनची हो आप, चलें फिर ये भी बतला दें

किसी के जान की कीमत है क्या, तय दाम कीजिए

या ये कह दें, उन सरहदों पर जान ही देने गये थे वो

उन्हे तनख्वाह मिली,हो यूँ उखड़े क्यों आप जाम लीजिए!


सियासत को हो कोसना, तो फिर दम भी ना लेंगे आप

वतन ने क्या दिया है आपको, बस पूछ लेंगे आप

जो सब मुमकिन था हमसे, क्या किया वो हमने सोचीये

और ज़हमत ना उठा सकें, तो छोड़िए आप जाम लीजिए !


उन खुदगर्ज़ों की तो जिन्दगी, खुशहाली वाली है

पर बुन रही कल का अमावस, इनकी दिवाली है

अपनी फिरकापरस्ती छुटे ना, तो ये मान लीजिए 

हाँ किस्मत में हमारे मिटना है, आप जाम लीजिए! 


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