पत्ता
पत्ता
सौंदर्य समर्पण का अद्भुत संगम
हरे भरे पेड़ों के अनगिनत पत्ते।
शाख से ही लिपटकर रहना चाहते थे!
तेज़ बारिश ने उन्हें खूब सताया,
चिलचिलाती धूप ने झुलसाया,
आंधी तूफान ने कहर ढाया,
सावन आने तक आबाद रहे
पतझड़ में पीले होकर गिर पड़े।
खाद बनकर नव अंकुर को सबल दिया
मिला था बहुत कुछ, वापस वो कर दिया।
गिरने से जीवन चाहे रुक भी जाए
पत्ते के जैसा हम कुछ कर जाएं।
किसी नेत्रहीन के ज्योति पुंज बने
अंगदान से किसी का सहारा बने।
