जरूरत होती है आजाद मन की खाली जमीन। जरूरत होती है आजाद मन की खाली जमीन।
किसने इसको बोया किसने इसको खाद लगाया किसने इसको बोया किसने इसको खाद लगाया
कब फली-फुली इसकी शाखाएँ जाने कब रुप वृछ का इसने पाया। कब फली-फुली इसकी शाखाएँ जाने कब रुप वृछ का इसने पाया।
क्या ऐसे ही जिंदगी कटेगी और मुझे मेरी तलाश रहेगी क्या हूँ मैं। क्या ऐसे ही जिंदगी कटेगी और मुझे मेरी तलाश रहेगी क्या हूँ मैं।
औरों को भाषण देने से पहले मुझे यह बदलाव खुद आगे बढ़ करके दिखाना है। औरों को भाषण देने से पहले मुझे यह बदलाव खुद आगे बढ़ करके दिखाना है।
उनके प्रेम की जीत में अपना अमर प्रणव हम देखेंगे। उनके प्रेम की जीत में अपना अमर प्रणव हम देखेंगे।