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vijaya Shalini

Abstract

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vijaya Shalini

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किरदार

किरदार

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जो भी मिलता गया मुझको,

 वही अपना बना गया।

 हर एक किरदार मुझे,

 मेरी ही कहानी सुना गया।।


मुझे आता तो नहीं था,

दर्द की नुमाइश करना,

दिखाकर जख़्म वो अपने

दर्द मेरा जगा गया।।


बात चिलमन की ही होती,

तो हम चेहरा छुपा लेते,

बनाकर आईना मुझको,

वो सारे राज़ चुरा गया।। 

 

मैंने सोचा था कि रख लूं,

अश्क पलकों में ही दबा कर,

छेड़कर दुखती हुई रग को,

कितना मुझको रुला गया।।


वही किरदार मुझे फिर से,

मेरी कहानी सुना गया।।


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