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vijaya Shalini

Abstract

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vijaya Shalini

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कह दूं क्या?

कह दूं क्या?

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तुम कहते हो तो कह दूं, मगर,

तुम सह पाओगे क्या बोलो!

कि मैं जिस हाल में हूं रहती,

तुम भी रह पाओगे क्या बोलो!।।

कभी बन जाते हो अजनबी,

कभी अपनों से भी बढ़कर,

कभी जो रुठ जाऊं मैं भी,

तुम मना पाओगे क्या बोलो!

सितम बस एक ही होता,

जो तुम अपने नहीं होते,

कभी जो दूर मैं जाऊं,

तुम बुला पाओगे क्या बोलो!।।

गिला तुमसे नहीं मुझको,

शिकायत ख़ुद से ही बस है,

जो मैं ख़ामोश हो जाऊं,

तो तुम रह पाओगे क्या बोलो!।।

तुम कहते हो तो कहदूं, मगर,

तुम सह पाओगे क्या बोलो!

तुम सह पाओगे क्या बोलो!


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