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Minati Rath

Abstract

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Minati Rath

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पुराना कैलेंडर

पुराना कैलेंडर

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दीवार पर लटकती पुराने कैलेंडर को

हटाते वक्त कुछ ऐसा लगा

जैसे किसी अपने को निकाल रही हूं

अपने ही घर से

वह जो साल भर दोस्त बनकर रहा

मेरी हर ज़रूरत का खयाल रखते हुए

मेरी हर एक योजना को अंजाम देते हुए

वह जो हर सुबह मुझे प्यार से देखा

दिनांक बताते हुए 

जिसकी हर संख्या में दिखती थी मुझे

कुछ उम्मीद, कुछ भरोसा

अब बदलना ही होगा उसे

एक अनजान जैसा

मेरे मन की भावनाओं को

वह तब भी समझ गई

जाते जाते भी उसने एक बात कह गई

समय के साथ बन जाता है

हर कोई पुराना

हर किसी को होता है 

एक दिन बदलना ।



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