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Minati Rath

Abstract

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Minati Rath

Abstract

रिश्तों से भरी ज़िंदगी

रिश्तों से भरी ज़िंदगी

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बनते बिगड़ते रिश्तों से

 बंधी है ज़िंदगी की डोर 


कभी आसान करदेती है सफर

कभी मुश्किल लगता है डगर


पर हर मुश्किल को गले लगाकर

चलती है जिंदगी रिश्तों की खातिर ।


कभी अपनों से छूटते हुए

कभी सपनों से रूठते हुए


कभी नए रिश्ते बनाते हुए

कभी मिलते हुए कभी बिछड़ते हुए


हर खुशी हर गम से गले मिलकर

चलती जाती है जिंदगी

बनते बिगड़ते रिश्तों को लेकर।


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